जो लोग नंदिनी दूध ब्रांड के बारे में नहीं जानते हैं, वे ये जान लें कि पिछले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी अगर दोबारा सत्ता में नहीं आ सकी तो एक बड़ा कारण यह नंदिनी दूध भी था। कर्नाटक के वर्तमान कांग्रेसी नेता जो अभी सत्ता में हैं, उन्हीं लोगों ने नंदिनी का मुद्दा उठाया और फिर इसे कर्नाटक की प्रतिष्ठा का विषय बनाकर कर बीजेपी को दोबारा सत्ता में नहीं आने दिया है। नंदिनी का विवाद अमूल को लेकर चला था जो राजनीति में एक अनोखी लड़ाई का पर्याय बन गया।
नंदिनी बनाम अमूल की जंग
साल 2023 के अप्रैल महीने में भारत के सबसे बड़े दूध ब्रांड अमूल कर्नाटक में लॉन्च के लिए तैयार था। अमूल ब्रांड की मालिक गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) है जिसके 26 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्य हैं। अमूल के कर्नाटक में लॉन्च होने से पहले ही यह एक राजनीति मुद्दा बन गया। कर्नाटक में कांग्रेस ने अमूल का विरोध किया और यह कहा कि अमूल कर्नाटक के दूध ब्रांड नंदिनी को खा जाएगा। यहां तक कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नंदिनी को अमूल के साथ मिलाने की योजना बना रहे हैं। इससे नंदिनी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसे कर्नाटक की गरिमा और प्रतिष्ठा से जोड़ कर राज्य के लोगों के लिए भावात्मक मुद्दा बना दिया गया। कांग्रेस के साथ ही जेडीएस पार्टी ने भी अमूल का विरोध किया। टि्वटर पर #GoBackAmul अभियान भी चला था। चुनाव के पहले इस मुद्दे को इतना उछाला गया कि आखिर अमूल को कर्नाटक में लॉन्च नहीं किया जा सका।
नंदिनी कर्नाटक के बाहर कई राज्यों में उपलब्ध
लेकिन अब नंदिनी ब्रांड की मूल कंपनी, जो कि कर्नाटक सरकार के सहकारी मंत्रालय के अधीन आती है, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में उतरने की घोषणा कर चुकी है। इस महीने के अंत तक नंदिनी के उत्पाद राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बाजारों में मिल सकते हैं। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में नंदिनी दूध के लिए प्लांट लगाने की भी योजना है। फिलहाल नंदिनी ब्रांड के दूध कर्नाटक के साथ ही तेलंगाना, गोवा, तमिलनाडू, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में उपलब्ध है। नंदिनी ब्रांड के केवल दूध ही नहीं हैं, बल्कि दही, पनीर, छाछ, घी, मक्खन और आईसक्रीम जैसे उत्पाद भी हैं। अब तो बेंगलुरू में नंदिनी कैफे मू नाम से रेस्टोरेंट भी खुल रहे हैं। नंदिनी भारत की सीमा लांघ कर दुबई तक पहुंच चुकी है। नंदिनी आज 21000 करोड़ रुपये की कंपनी बन चुकी है।
1974 से बाजार में है नंदिनी
कर्नाटक की सहकारी समितियां 1955 से संगठित रूप से दुग्ध उत्पान करती थी, लेकिन नंदिनी ब्रांड की स्थापना 1974 में कर्नाटक डेयरी विकास निगम फेडरेशन ( केडीडीएस ) के तहत की गयी। 1984 में केडीडीएस का नाम बदल कर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमफ) कर दिया गया। केएमएफ कर्नाटक सरकार के सहकारी मंत्रालय के अधीन है।
क्या नंदिनी का उत्तर भारत में विरोध होगा
लेकिन वही नंदिनी अब उत्तर भारत में लॉन्च हो रही है जहां अमूल का वर्चस्व है। ऐसे में यह सवाल उठाया जा रहा है कि जब अमूल को कर्नाटक में प्रवेश नहीं करने दिया गया तो फिर कैसे नंदिनी राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारत के दो बड़े राज्यों में लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। क्या नंदिनी का ठीक उसी तरह से विरोध उत्तर भारत में होगा जैसा कि अमूल का कर्नाटक में हुआ था, फिलहाल तो ऐसा कुछ नहीं दिखता। हालांकि सोशल मीडिया पर कुछ आवाजें जरूर उठती हुईं दिख रही हैं। (फोटो-X )