Friday, March 14, 2025

चीन को टक्कर देने के लिए भारत ने 3 युद्धपोत हिंद महासागर में उतारे, क्या हैं इनकी क्षमताएं?

हिंदी महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव और उसकी नौसेना की सरगर्मी को देखते हुए भारत अपनी नौसेना को आधुनिक करने पर ध्यान दे रहा है। युद्धपोतों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार की सुबह मुंबई में एक पनडुब्बी और दो युद्धपोतों को राष्ट्र को समर्पित किया। जो तीन युद्धपोत हैं उनके नाम हैं INS सूरत (डिस्ट्रॉयर), INS नीलगिरि (स्टेल्थ फ्रिगेट) और INS वाघशीर (पनडुब्बी)। ये तीनों युद्धपोत क्यों खास हैं और इनकी कितनी मारक क्षमता है, आइये हम एक-एक कर आपको बताते हैं।

INS सूरत (डिस्ट्रॉयर)

यह युद्धपोत दुनिया का सबसे बड़ा पी15बी मिसाइल संचालन वाला आधुनिक डिस्ट्रॉयर युद्धपोत है। नौसेना में यह इस तरह का चौथा और आखिरी युद्धपोत होगा। यह 75 प्रतिशत स्वदेशी उपकरणों से निर्मित है। इसमें स्टेट ऑफ द आर्ट वेपंस सेंसर पैकेज है। डेस्ट्रायर ऐसे युद्धपोत को कहा जाता है जो तेजी से चलकर दुश्मन का विनाश या ध्वंस करता है।

INS नीलगिरि (फ्रिगेट)

यह युद्धपोत पी17एक स्टील्थ फ्रिगेट प्रोजेक्ट के तहत पहला युद्धपोत है। इसे नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है। नौसेना के मुताबिक आईएनएस नीलगिरि शिवालिक फ्रिगेट युद्धपोत से अधिक आधुनिक है। इसका रडार स्टेट ऑफ दि आर्ट टेक्नोलॉजी युक्त है जिससे यह दुश्मन की सटीक पहचान कर सकता है। इस युद्धपोत से चेतक, एमएच-60आर हेलीकॉप्टर भी संचालन कर सकता है। इसमें एडवांस सेंसर और वेपंस सिस्टम लगे हैं। फ्रिगेट युद्धपोत आम तौर पर मध्य आकार का होता है और उसे तेजी से मुड़ने में महारत हासिल होती है।

INS वाघशीर (पनडुब्बी)

हिंद महासागर में बढ़ते खतरे को देखते हुए अब पनडुब्बियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इसलिए भारत अपनी पनडुब्बियों की संख्या बढ़ाने में लगा है और आईएनस वाघशीर को अपने पनडुब्बी बेड़े में शामिल किया है। फ्रांस के सहयोग से यह पनडुब्बी विकसित की गई है। यह पी75 स्कॉर्रियन प्रोजेक्ट का छठा और आखिरी पनडुब्बी है। इसमें दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए आधुनिकतम वारहेड लगे हैं। इसकी पहचान हंटर किलर के तौर होती है।

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