कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध का साया मंडरा रहा है। भारत ने हालांकि अभी तक ऐसी कोई बात नहीं कही है जिससे युद्ध होगा, लेकिन यह पाकिस्तान के नेता और सेना हैं जो भारत के सैन्य हमले को लेकर आशंकित है और घबराये हुए हैं। दरअसल भारत ने जहां अरब सागर में अपनी नौसेना को सक्रिय कर दिया हैं, वहीं वायु सेना ने भी आक्रामण नाम से युद्ध अभ्यास किया। शुक्रवार को ही भारत ने उत्तर प्रदेश के गंगा एक्सप्रेसवे पर राफेल, सुकोई, मिराज, तेजस को उतार अपने वायु सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया। ऐसे में जब युद्ध का बादल मंडरा रहा है तो यह देखना लाजिमी है कि क्या पाकिस्तानी वायुसेना भारत से मुकाबला कर पायेगी।
हालांकि पांच साल पहले पुलवामा हमले के समय पाकिस्तान वायु सेना के एफ 16 लड़ाकू विमान ने एक भारतीय मिराज विमान को मार गिराया था। इसे लेकर आज भी पाकिस्तानी यह दंभ भरते हैं कि भारतीय वायु सेना से उनकी वायु सेना अव्वल है। लेकिन क्या एक घटना से किसी की मजबूती आंकी जा सकती है, तो इसका उत्तर होगा नहीं। समग्र क्षमता कितनी है भारत और पाकिस्तान की वायुसेनाओं की, यह देखना जरूरी है क्योंकि लंबे युद्ध में पूरी क्षमता ही महत्व रखती है। तो आइये देखते हैं कि तुलनात्मक रूप से किसकी वायु सेना मजबूत है।
दुनिया की चौथी बड़ी वायुसेना है भारत की
भारतीय वायुसेना यानी IAF विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। इसके पास लगभग 1,700 से अधिक लड़ाकू व परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर हैं। भारत के अत्याधुनिक राफेल विमान है जो पाकिस्तान के पास नहीं है। भारतीय वायुसेना के पास कई आधुनिक और विविध प्रकार के लड़ाकू विमान हैं जैसे राफेल जो फ्रांस में बना अत्याधुनिक 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। भारत के पास रूस का Sukhoi Su-30MKI भी है जो भारतीय वायुसेना की रीढ़ है। यह बहु-भूमिका वाला भारी लड़ाकू विमान है। इंग्लैंड में बना मिराज-2000 है, वहीं रूस का MiG-29 भी है। भारत ने खुद का हल्का लड़ाकू विमान विकसित किया है जिसका नाम तेजस है। भारत के पास अमेरिका से मिला चिनूक हेलीकॉप्टर भी है।
पाकिस्तान चीन के जेएफ 17 थंडर पर निर्भर
पाकिस्तान एयरफोर्स यानी PAF के पास कुल मिलाकर लगभग 500-600 विमान हैं, जिनमें लड़ाकू विमानों की संख्या 350 के आसपास है। पाकिस्तान ने चीन की सहायता से जेएफ 17 थंडर बनाया है जो हल्का लड़ाकू विमान है। पाकिस्तान के पास एफ-16 जैसा लड़ाकू विमान है, जिसका तकनीक पुराना हो चुका है। अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 का नया मॉडल नहीं दिया है। एफ-16 के उपयोग में भी अमेरिका ने पाकिस्तान पर कई पाबंदियां लगा रखी हैं। वह सिर्फ इसे केवल आत्मरक्षा में इस्तेमाल कर सकता है, भारत पर हमले के लिए नहीं।
भारतीय वायुसेना की अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली
पाकिस्तानी वायुसेना से बचने के लिए भारत के पास AESA रडार है। बीवीआर मिसाइलें जैसे मेटियोर और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणालियों से सुसज्जित है भारतीय वायुसेना। भारत के पास नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमता और उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली भी है। वहीं पाकिस्तानी वायुसेना में कुछ आधुनिक तकनीकों का समावेश हुआ है, परंतु संसाधन और अपग्रेडेशन की गति सीमित है।
निरंतर अभ्यास से वायुसेना की बेहतर तैयारियां
भारतीय वायुसेना को भारत सरकार से भरपूर समर्थन मिलता है यानी बड़ा बजट मिलता है जिससे भारतीय वायुसेना निरंतर अभ्यास करती रहती है। दुनिया के बड़े देशों की वायुसेनाओं के साथ भारतीय वायुसेना के पायलट अभ्यास करते हैं जिससे उन्हें निरंतर बेहतर होने का अवसर मिलता है। लेकिन पाकिस्तानी वायुसेना बजट और संस्धानों का सामना करती है जिसकी उसकी तैयारियों भारतीय वायुसेना की तरह नहीं है। हालांकि पाकिस्तानी पायलट भी सक्षम हैं, लेकिन उनके प्रशिक्षण के अवसर और संसाधन भारतीय पायलटों की तुलना में सीमित हैं। भारत के विशाल भौगोलिक क्षेत्र के कारण वायुसेना के पास अधिक एयरबेस, लॉजिस्टिक सपोर्ट और रणनीतिक गहराई है। लेकिन पाकिस्तानी वायुसेना में सीमित क्षेत्र और संसाधनों के कारण रणनीतिक लचीलापन कम है।
स्वनिर्भरता से भारतीय वायुसेना को मजबूती
भारत पाकिस्तान के मुकाबले अपनी वायुसेना के स्वदेशी विकास पर भी अधिक खर्च करता है। यही कारण है कि डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड वायुसेना के आत्मनिर्भरता के लिए सालों से काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में तेजस हल्का लड़ाकू विमान भी विकसित किया गया है जो भारतीय वायुसेना में शामिल है। लेकिन पाकिस्तान की काफी हद तक निर्भरता चीन और अमेरिका जैसे देशों पर है। पाकिस्तान को अमेरिका से हासिल एफ-16 लड़ाकू विमान के रख-रखाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उसे उपकरण मिलने में मुश्किल होती है।