अभी तक बांग्लादेशी नागरिक इलाज के लिए कोलकाता समेत भारत के विभिन्न शहरों में आया करते थे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद भारत-बांग्लादेश के रिश्ते में आये तनाव के बाद भारत सरकार ने बांग्लादेशियों की वीजा में भारी कटौती कर दी है। अब बांग्लादेश सरकार ने चीन से आवादेन किया है कि उसके नागिरकों को इलाज के लिए चीन में व्यवस्था की जाए।
बांग्लादेश के मीडिया ने खबर दी है कि मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की विदेश नीति के परामर्शदाता तौहिद हसन ने चीन का सफर किया है। उन्होंने चीन के विदेश मंत्री और दूसरे अधिकारियों से मिलकर यह आवेदन किया है कि उनके देश के नागरिकों के इलाज के लिए चीन व्यवस्था करे। बांग्लादेश के इस आवेदन के मद्देजनर चीन ने अपने कुंमिंग शहर में बांग्लादेशी मरीजों के इलाज की व्यवस्था करने की बात कही है।
भारत से 80 फीसदी वीजा में कमी
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के समय भारत में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी इलाज के लिए आते थे। अधिकतर लोग कोलकाता में इलाज कराते थे। इनमें अन्य सैकड़ों लोग चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, वेल्लोर और दिल्ली भी जाते थे। लेकिन पांच अगस्त को बांग्लादेश में भारी विरोध के बीच शेख हसीना सरकार का पतन हो गया था। उसके बाद से जो अंतरिम सरकार बनी, उसके नेताओं के भारत विरोधी बयानों के कारण भारत-बांग्लादेश के रिश्ते बिगड़ने लगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने बांग्लादेशियों को टूरिस्ट वीजा जारी करना बंद कर दिया। मुश्किल से मेडिकल वीजा जारी की जाती है। इससे जो बड़ी संख्या में बांग्लादेशी इलाज के लिए भारत आते थे, वह लगभग बंद हो गया। भारत द्वारा टूरिस्ट वीजा नहीं दिये जाने के कारण बांग्लादेशियों का कोलकाता आना बंद हो गया है। इस वजह से अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपने नागरिकों के लिए चीन में इलाज कराने की व्यवस्थ कर रही है।
क्या चीन में बांग्लादेशियों को मिलेगी भारत वाली सुविधा
हालांकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कोशिश कर रही है कि उसके नागरिकों को चीन में इलाज मिले। लेकिन उसकी यह योजना का फेल होना निश्चित है। दरअसल अब तक बांग्लादेशियों को भारत में बेहद सस्ता इलाज मिल जाता था। वे भारत -बांग्लादेश सीमा पर बने वीजा सेंटर से ही होकर बिना फ्लाइट लिये चले आते थे। उसके अलावा यहां उनको होटल, भोजन भी उचित दर में मिल जाते थे। कोलकाता के डॉक्टर भी बांग्लादेशियों की तरह बांग्ला में बात करते हैं जिससे उनको भाषा की समस्या नहीं होती थी। लेकिन चीन जाने पर उन्हें महंगे फ्लाइट खर्च, होटल व खाना का महंगा खर्च उठाना पड़ेगा। कोलकाता के चिकित्सक गौतम खास्तगिर ने आनंद बाजार पत्रिका से कहा कि बांग्लादेशी नागरिक चीन जाकर इलाज करायेंगे, यह व्यवहारिक नहीं है। कोलकाता में जितनी सहूलियत मिलती है, उतनी कुंमिंग में नहीं मिलेगी। इसलिए मुझे लगता है कि भारत-बांग्लादेश में रिश्ते सहज होने क बाद बांग्लदेशी मरीज फिर से कोलकाता ही आयेंगे। इसमें मुझे कोई संशय नहीं है।
भारत को भी हो रहा नुकसान
बांग्लादेशी मरीजों के भारत का वीजा नहीं मिलने और इलाज के लिए नहीं पाने से कोलकाता के कई सारे बड़े-बड़े निजी अस्पताल प्रभावित हुए हैं। हजारों बांग्लादेशी मरीजों की वजह से इन अस्पतालों ने काफी खर्च कर अपनी संरचना को बहुत बढ़ाया है। इन अस्पताल के सूत्रों का कहना कि बांग्लादेश के 80 फीसदी मरीजों की कमी हो गई है जिससे उनपर व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ा है। इतना ही नहीं, बांग्लादेशी नागरिक कोलकाता आने पर न्यू मार्केट और उसके आसपास इलाके के होटलों में रुकते थे। अभी इन होटलों में बुकिंग कम हो गई है। बांग्लादेशी वापस अपने देश लौटते समय न्यू मार्केट में काफी खरीददारी भी करते थे, लेकिन उनके नहीं आने से न्यू मार्केट पर भी प्रभाव पड़ा है।