Monday, April 28, 2025

मूर्शिदाबाद हिंसा पर भारत को संदेश देने वाला बांग्लादेश को खानी पड़ी मुंह की

आर्थिक परेशानियों से घिरे हमारे पड़ोसी बांग्लादेश पर यह कहावत एकदम सटीक बैठती कि उल्टा चोर कोतवाल को डाके। जी हां। कट्टरपंथियों के हाथों में खेलने वाले मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में बांग्लादेश कुछ ऐसी ही हरकतें कर रहा है।

गर्त में जा चुकी बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए भारत के साथ मैत्रीपूर्ण बरताव की जगह मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत के साथ लगातार शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रही है। नहीं तो क्या कारण है कि वह मूर्शिदाबाद हिंसा के मुद्दे पर भारत को मुसलमानों की फिक्र करने की सलाह देने की हिम्म्मत करे, जबकि मुर्शिदाबाद में मुसलमानों पर ही आरोप है कि उन्होंने सैकड़ों हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाटी की है। वक्फ बिल के विरोध के नाम पर उन्मादी जेहादियों ने मंदिरों को तोड़ा और हिंदू पिता-पुत्र की हत्या की। जान बचाने के लिए हिंदुओं को पलायन करना पड़ा है।

बांग्लादेश ने भारत से सीधा भिड़ने का फैसला कर लिया है, इसका ही उदाहरण है मुर्शिदाबाद हिंसा पर उसका मुंह खोलना। गुरुवार को मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने मुर्शिदाबाद हिंसा के मुद्दे पर भारत के अल्पसख्यकों के हितों का ख्याल रखने की बात की थी। अब शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बांग्लादेश सरकार को ना सिर्फ आईना दिखाया, बल्कि वहां के हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोकने को भी कहा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेशी पक्ष द्वारा की गई टिप्पणियों को खारिज करते हैं। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के चल रहे उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने का एक छोटा सा प्रच्छन्न और कपटी प्रयास है, जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुले घूम रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘अनुचित टिप्पणी करने और अच्छे संकेत देने के बजाय, बांग्लादेश को अपने स्वयं के अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

गौरतलब है कि 5 अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़ कर भारत में आश्रय लेने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार टूट पड़ा हैं। दो सौ से अधिक मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया गया, हजारों घरों में तोड़फोड़-लूटपाट और आगजनी की गई। कई हिंदुओं की हत्या भी की गई। इस्कॉन के संन्यासी चिन्मयदास को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। भारत समेत अमेरिका और अन्य देशों ने हिंदुओं पर अत्याचार रोकने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर दबाव बना रखा है।

 

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