पश्चिम बंगाल अकेला ऐसा राज्य बन गया है जहां सबसे ज्यादा हिंदुओं के खिलाफ दंगे हो रहे हैं। योजनाबद्ध तरीके से हिंदू इलाके में आतंक फैलाने के लिए घरों में तोड़फोड़, लूटपाट, आगजनी और यहां तक की हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा है और ये सब उन इलाकों में हो रहा हैं जहां मुस्लिमों की आबादी अधिक है। मार्च महीने के आखिर में मालदा के मोथाबाड़ी में हिंदुओं पर हमला हुआ, अब मुर्शिदाबाद इसका ताजा उदाहारण हैं, जहां पिछले सप्ताह वक्फ बिल के विरोध के नाम पर हिंदुओं को निशाना बनाया गया।
मुर्शिदाबाद में हुई व्यापक हिंसा के इतने दिनों के बाद भी अब तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सामने आकर पीड़ित हिंदू परिवारों को सांत्वाना देने के लिए दो शब्द नहीं कहे हैं। बस उन्होंने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर उत्पात करने वालों लोगों से कानून नहीं हाथ में लेने की अपील की है। यह भी ठीक है कि हिंसा के जोर पकड़ने से पहले उन्होंने महावीर जयंती और उसके पहले ईद के मौके पर मुस्लिमों से किसी तरह की आवेगपूर्ण कार्रवाइयों से दूर रहने की अपील की थी। लेकिन इसका असर कुछ भी नहीं हुआ।
ममता बनर्जी की चहूंओर निंदा
मुर्शिदाबाद हिंसा में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। समरशेरगंज में दो हिंदुओं, पिता-पुत्र को उनके घरों में घूस कर जेहादी लोगों ने हत्या कर दी है। मुर्शिदाबाद का यह इलाका सबसे अधिक हिंसा प्रभावित है जहां हिंदुओं के घरों-दुकानों में लूटपाट की गई है। इसके साथ ही धुलियान, सुती और फरक्का में भी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हुई। शुक्रवार को जुमे के नमाज के बाद यह हिंसा देखने को मिली है। हिंदुओं के खिलाफ योजनाबद्ध ढंग से की गई हिंसा रोक नहीं पाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चहूंओर आलोचना-निंदा हो रही है। यह बीजेपी पार्टी अकेले नहीं है जो कह रही है कि ममता बनर्जी केवल मुस्लिमों की मुख्यमंत्री हैं, बल्कि बंगाल के आम हिंदू जनता में यह स्पष्ट रूप से मैसेज जा रहा है कि ममता केवल मुस्लिमों की फिक्र करती हैं। मुस्लिमों की तरफ से होने वाली हिंसा को अनदेखा करती हैं। क्योंकि वे उनके वोट बैंक हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ विश्वनाथ चक्रवर्ती भी यह कहते हैं कि हम यह बार-बार देख रहे हैं कि ममता बनर्जी बीजेपी और हिंदुत्व के सवाल पर कठोर निर्णय लेती हैं, लेकिन मुसलमानों के प्रति नरम रहती हैं। यह दृष्टिकोण ममता के प्रशासन में भी दिखता है। तीन दिनों तक मुर्शिदाबाद में अराजता रही है, पुलिस मार खा रही थी, लेकिन वहीं कोलकाता में पुलिस ने शिक्षकों पर लाठियां चलाईँ। ममता के शासन के ये दो रूप देखने को मिल रहे हैं।
साजिश की तहत मुर्शिदाबाद में हिंसा
अतीत में कई ऐसे मौके आये हैं जब ममता बनर्जी ने अपने आचरण और व्य़वहार और बातों से यह दिखाया है कि उनके लिए मुस्लिम सर्वप्रथम हैं। पिछले साल हावड़ा में हाईकोर्ट द्वारा अनुमति देने के बाद रामनवमी जुलूस निकालने का रास्ता साफ हुआ था, लेकिन यहां ममता ने एक मंच से सीधे कहा था कि मेरे मुस्लिम भाइयों को कुछ नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि 2023 में हावड़ा में निकली शोभा यात्रा के दौरान मुस्लिम इलाकों में पथराव किया गया था जिससे दंगा हो गया था। बीजेपी पहले ही कह चुकी है कि मुर्शिदाबाद को हिंदूमुक्त करने की साजिश के तहत ताजा हिंसा करायी गयी है। और इसका नतीजा भी दिख रहा कि हिंसाग्रस्त क्षेत्रों से भागकर हिंदू लोग मालदा में शरण ले रहे हैं। शरणार्थी शिविरों में जान बचाने के लिए पनाह ले रहे हैं। 400 से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं।
ममता के 14 सालों के शासन में सबसे ज्यादा हिंदू प्रताड़ित
मुर्शिदाबाद की हिंसा तब थमी है जब वहां कोर्ट के आदेश पर अर्द्ध सैनिक बलों की करीब 18 कंपनियां तैनात की गईं। हिंसा पीड़ित लोगों का कहना है कि पुलिस को फोन करने के बाद भी वे हमें बचाने के लिए नहीं आये। इसलिए अब लोग हमेशा के लिए इलाके में बीएसएफ जवानों की तैनाती की मांग कर रहे हैं। ममता बनर्जी के शासन के 14 साल हो गये हैं और इन सालों में उन्होंने मुसलमानों का वोट पाने के लिए वह सब किया जैसा कि पहले की किसी सरकार ने नहीं किया था। इन 14 सालों में बंगाल में कई दंगे हुए और इनमें हिंदू आबादी ही ज्यादा पीड़ित रही है। मुस्लिमों के प्रति प्यार ने ममता की छवि ऐसी बना दी है कि अब सोशल मीडिया में उन्हें मुमताज बेगम तक कहा जाता है। इसलिए अब बीजेपी नेता ममता को मुस्लिमों की मुख्यमंत्री बताते हुए हिंदुओं से सीधे अपील कर रहे हैं कि बंगाल को बचाने के लिए आगे आये। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी तो यहां तक कहते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में 39 प्रतिशत हिंदुओं ने हमें वोट दिया था, अगर और पांच-सात प्रतिशत वोट मिलते हैं तो हम बंगाल में हिंदू शासन स्थापित कर पायेंगे। शुभेंदु के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनाव में हिंदुओं का 55 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला था जबकि 2021 के विधानसभा चुनाव में 54 हिंदुओं ने बीजेपी को वोट किया था।
दंगे के जरिये मुस्लिम वोट साधने का पैतरा
कोलकाता के पत्रकार सन्मय बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि ममता बनर्जी द्वारा ईद के दिन दिये उकसावेपूर्ण भाषण की वजह ही बंगाल में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हो रही है। ममता ने उस दिन हिंदू धर्म को गंदा धर्म बोला था। सन्मय का यह भी मानना है कि इस हिंसा के जरिये ममता मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण कर रही हैं। मुसलमानों को तृणमूल के पाले में रखने के लिए ही हिंसा कराने का मकसद है। उधर राजनीतिक विशेषज्ञ विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं कि मुर्शिदाबाद में तीन दिन तक बंगाल पुलिस निष्क्रिय रही है। इस दौरान लोगों के घरों, दुकानों में लूटपाट की गयी।
बंगाल का बांग्लादेश बनते देखना दुखद
सन्मय बनर्जी और विश्वनाथ चक्रवर्ती दोनों का कहना है कि ममता बनर्जी कह रही है कि वह बंगाल में वक्फ कानून को लागू नहीं होने देंगी लेकिन क्या उनकी यह हिम्मत है जबकि वक्फ बिल कानून बन गया है और संविधानसम्मत बन गया है। चक्रवर्ती का कहना है कि ममता ने सीएए कानून के लागू नहीं होने देने की बात कही थी लेकिन ऐसा तो नहीं हुआ। बंगाल में सीएए लागू हो चुका है। विश्वनाथ चक्रवर्ती आखिर में कहते हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो हुआ, वहीं पश्चिम बंगाल में होते हुए देखना सचमुच भयानक अनुभव है। ऐसी आशंका थी लेकिन यह इतनी जल्दी होगी, इसकी आशा नहीं थी।