ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर 20 मार्च को रिलीज हुई वेब सीरीज खाकीः द बंगाल चैप्टर इन दिनों बंगाल में रुचि रखने वाले लोगों को आकर्षित कर रही है। पश्चिम बंगाल की राजनीति-पुलिस-गैंगस्टर की सांठगांठ पर बनी यह वेब सीरीज राज्य में लेफ्ट शासन का एक तरह से कच्चा चिट्ठा है। लेकिन सात एपिसोड में बनी यह वेब सीरीज आज की बंगाल की सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने में भी फीट बैठती है और इसकी कहानियां आज भी दोहराई जा रही हैं।
बेबी, ए वेडनेसडे, स्पेशल 26 और एमएस धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी जैसी सफल फिल्में देने वाले बॉलीवुड निर्देशक नीरज पांडे वेब सीरीज की अपनी दूसरी किस्त लेकर लेकर आये हैं। पहले वह खाकीः द बिहार चैप्टर बना चुके हैं, अब उन्होंने खाकीः द बंगाल चैप्टर नेटफ्लिक्स पर ही पेश किया है। हालांकि उन्होंने इसका निर्देशन नहीं किया है बल्कि देवात्मा मंडल और तुषारकांति राय ने निर्देशित किया है। नीरज पांडे ने ही देवात्मा मंडल और सम्राट चक्रवर्ती के साथ मिलकर स्क्रिप्ट लिखी है।
खाकीः द बंगाल चैप्टर ऐसी पहली वेब सीरीज है जिसमें बांग्ला सिनेमा के दो सुपर स्टार ने भूमिका निभाई है। प्रसन्नजीत चटर्जी और जीत के साथ ही शास्वत चटर्जी और परमव्रत चटर्जी इसमें दमदार रोल में हैं। वहीं बॉलीवुड से चित्रांगदा सिंह भी एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। इसके अलावा बांग्ला सिनेमा के सफल अभिनेता ऋतिवक भौमिक भी हैं।
राजनीति, पुलिस और गैंगस्टर का घालमेल
खाकीः द बंगाल चैप्टर में नीरज पांडेय ने बंगाल के लेफ्ट शासन के 2000 साल के आसपास की कहानी को गढ़ा है। कोलकाता महानगर में सरकार चलाने वाली पार्टी के एक प्रमुख नेता वरुण राय पर्दे के पीछे से गैंगस्टर बाघा ( शास्वत चटर्जी) और उसके दो गुर्गो सागर तालुकदार ( ऋतिवक भौमिक) और रणजीत ठाकुर ( आदिल जाफर खान) के जरिये तमाम तरह के अवैध कार्यों का संचालन करता है। लेकिन आईपीएस अधिकारी सप्तऋषि सिन्हा (परमव्रत चटर्जी) की हत्या के बाद उनकी जगह पर आये आईपीएस अधिकारी अर्जुन मोइत्रा बाघा के बनाये के जंजाल को एक-एक कर साफ करते हैं और इसमें वह बड़ी चालाकी से उसके गुर्गों का ही सहारा लेते हैं। वेब सीरीज के अंत आते-आते भारी रक्तपात और हिंसी होती है जो कि बंगाल की सच्चाई है।
बॉलीवुड को मिल सकता है नया स्टार
खाकीः द बंगाल चैप्टर से बॉलीवुड को एक नया स्टार मिल सकता है। आईपीएस अधिकारी की दमदार भूमिका निभाने वाले जीत अब तक बांग्ला सिनेमा के ही सुपर स्टार हैं, लेकिन यह वेब सीरीज निश्चित रूप से उनके लिए बॉलीवुड का दरवाजा खोल सकती है। वहीं एक घाघ राजनीतिक के रूप में प्रसन्नजीत चटर्जी फिर बॉलीवुड को आकर्षित कर सकते हैं, हालांकि वह संघाई और ट्रैफिक जैसी हिंदी फिल्मों में अपनी छाप छोड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हिंदी सिनेमा में बड़ी भूमिका का इंतजार है। अब यह इंतजार खत्म हो सकता है। खाकी द बंगाल चैप्टर में बाघा जैसे खतरनाक गैंगस्टर की भूमिका निभाने वाले शास्वत चटर्जी को विद्या बालन अभिनीत हिंदी फिल्म कहानी में देखा गया था। उन्होंने अपनी छोटी सी भूमिका से फिल्म दर्शकों पर छाप छोड़ी थी। उनके पास फिर से हिंदी फिल्मों के ऑफर आ सकते हैं। बाघा के गुर्गे के रूप में रितिवक भौमिक और आदिल जाफर खान भी वेब सीरीज में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। विपक्षी नेता के रूप में चित्रांगदा सिंह भी जमी हैं। चित्रांगदा सिंह का चरित्र बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ इशारा करता है।
बंगाल की असल कहानी का पर्दाफाश
खाकीः द बंगाल चैप्टर में जो कहानी दिखाई गई है, दरअसल वह पश्चिम बंगाल में शासन करने वाली वाम सरकार के दौरान आम बात थी। ना सिर्फ राजनीतिक हिंसा में सैकड़ों लोगों की हत्या हुई, बल्कि कोलकाता से लेकर जिलों तक फैले अवैध धंधों को सत्ताधारी नेताओं के प्रश्रय में पले-बढ़े क्रिमनल संचालित करते थे। खाकीः द बंगाल चैप्टर कोलकाता में चल रहे कंकाल तस्करी का भंडाफोड़ करती है। कोलकाता महानगर से कई लोग गायब हो जाते थे और उनका कोई अता-पता नहीं मिलता था। इनके अंग निकाल लिये जाते थे और फिर उनके कंकाल की तस्करी विदेशों में की जाती थी। ऐसा नहीं है कि यह कहानी सिर्फ पूर्व लेफ्ट शासन में होती थी, बल्कि हाल-फिलहाल में भी अंग बेचने से लेकर बॉडी गायब करने तक के आरोप लगे हैं। पिछले दिनों जब कोलकाता के नामी सरकारी अस्पताल आरजीकर में एक महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की गयी तो यह आरोप लगाना शुरू हुआ कि आरजीकर अस्पताल में कई तरह के अवैध धंधे चलते हैं। शायद इसकी जानकारी होने के बाद ही उक्त महिला डॉक्टर की हत्या कर दी गयी।
बांग्ला दर्शकों को आकर्षत कर रही यह वेब सीरीज
खाकीः द बंगाल चैप्टर 20 मार्च को रिलीज होने के बाद आज तक नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज में नंबर एक पर ट्रेंड कर रही है। नीरज पांडेय और देवात्मा मंडल दर्शकों को बांधने में सफल रहे हैं। हालांकि पहला एपिसोड कुछ धीमा है, लेकिन उसके बाद के छह एपिसोड में गतिशिलता और घटनाएं तेजी से घटित होती हैं। सस्पेंस और उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या होगा। इस वेब सीरीज में फोटोग्राफी अच्छी बन पड़ी है। कोलकाता की तस्वीरों को कैमरे से अच्छा पकड़ा गया है जो आकर्षित करती है। सोशल मीडिया पर इस सीरीज को लेकर दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। हालांकि कुछ दर्शकों ने खाकीः द बिहार चैप्टर को अच्छा बताया है। लेकिन बांग्ला दर्शकों को यह पसंद आ रही है। खासकर बांग्ला सिनेमा के इतने सुपरस्टारों को एक हिंदी वेब सीरीज में एक साथ देखकर। बांग्ला सिनेमा के सुपरस्टार प्रसनजीत चटर्जी की नेगेटिव भूमिका को देखकर ये दर्शक हैरान हुए हैं क्योंकि उन्होंने पहले कभी ऐसी भूमिका नहीं की है। वहीं जीत की सुपर कॉप की भूमिका ने उन्हें लुभाया है। ( फोटो- एक्स)