अंततः लंबी प्रतीक्षा के बाद पाकिस्तानी रैंजर्स के हाथों पकड़ लिये गये बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ अपने घर लौट आये हैं। हावड़ा स्टेशन पर उन्हें फूलों का माला पहनाकर स्वागत किया गया। उनके घर लौटने पर मानों दिवाली मनाई गयी। किसी हीरो की तरह बैंड बाजों के साथ उनका स्वागत किया गया। पूर्णम ने कहा कि कि उन्हें दूसरी जिंदगी मिली है।
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के ठीक दूसरे दिन पंजाब में सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ भूलवश पाकिस्तान सीमा में प्रवेश कर गये थे। उसी दौरान पाकिस्तानी रैंजर्स के जवानों ने उन्हें पकड़ लिया था। बीएसएफ ने उन्हें छुड़ाने के लिए पाकिस्तानी रैंजर्स के साथ फ्लैग मीटिंग की, लेकिन पाकिस्तान ने पूर्णम को नहीं छोड़ा। इस बीच भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति बनती गई और आखिर भारत ने छह-सात मई की आधी रात पाकिस्तान स्थित आंतकी ठिकानों पर हमला कर दिया। चार दिनों की संक्षिप्त युद्ध के बाद फिर से पूर्णम को छुड़ाने का प्रयास किया गया। आखिर 14 मई को बाघा-अटारी बॉर्डर से पाकिस्तानी रैंजर्स ने पूर्णम शॉ को बीएसएफ के हवाले कर दिया। उसके बाद लगातार उन्हें चिकित्सा निगरानी में रखा गया। पाकिस्तान में पूर्णम शॉ को पाक रैंजर्स ने काफी सताया था। उन्हें तरह-तरह से मानसिक और शारीरिक कष्ट देकर जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई थी।
शुक्रवार की शाम जब बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ ट्रेन से हावड़ा स्टेशन पहुंचे तो उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भारत माता के जयकारे लगने लगे। तिरंगा लहराया गया। टी शर्ट और जींस पहने पूर्णम चेहरे पर मास्क लगाये हुए थे। उन्हें लेने के लिए पूरा परिवार आया हुआ था। उनके पिता ने ट्रेन से उतरते ही अपने बेटे को गले लगा लिया। यह एक भावुक पल था जब बाप-बेटे दोनों की आंखों में आंसू थे।
पूर्णम को हावड़ा स्टेशन से निकाल कर उन्हें गाड़ी में बैठाया गया और फिर अपने घर हुगली जिले के रिसड़ा ले जाया गया। इस बीच उनकी गाड़ी लिलुआ में एक मिठाई की दुकान पर रुकी जहां उनका मुंह मीठा कराया गया। यहां मीडिया कर्मियों ने उन्हें घेर लिया। हावड़ा स्टेशन में उन्होंने कुछ नहीं कहा था लेकिन यहां उन्होंने दिल की बात की। उन्होंने पाकिस्तान से छूट कर आने पर सभी का शुक्रिया अदा की। उन्होंने कहा, ‘लग रहा मेरा दूसरा जन्म हुआ है। परिवार के लोगों को देख कर बहुत खुशी हो रही है। लेकिन मुझे पाकिस्तान में जरा भी डर-भय नहीं था। हम सब दिन-रात एककर सीमा की सुरक्षा करते हैं ताकि देशवासी सुरक्षित रह सकें। अगर हम डर जाएंगे तो फिर देशवासी कैसे सुरक्षित रहेंगे। बस थोड़ा परिवार को लेकर चिंतित था।’
घर पहुंचने पर बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ का जोरदार स्वागत किया गया। रास्ते पर तोरण द्वार बनाये गये थे। और सजाया गया था। घर को भी सजाया गया है। उन्हें एक खुली गाड़ी में बैठा कर घर तक लगाया। इस दौरान उन्हें देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहा है। पूर्णम शॉ ने सबका अभिवादन भी किया।
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