22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का एक सप्ताह से अधिक का समय हो गया है, देश 25 हिंदू पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की निर्मम हत्या के बदले का बचैनी से इंतजार कर रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तीनों सेनाओं को पाकिस्तान के खिलाफ खुली छूट देने की घोषणा कर दी है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ कब और क्या सैन्य कार्रवाई होगी, इसकी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनौतियां यहीं खत्म नहीं हो जाती है। पहलगामा आतंकी हमले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष कई जटिल और बहुआयामी चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं, जिनका समाधान करना आवश्यक है।
संपूर्ण युद्ध का खतरा
पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारत अगले 24 से 36 घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है । इससे दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव बढ़ गया है, और प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव है कि वे एक संतुलित प्रतिक्रिया दें जो आतंकवाद के खिलाफ कठोर हो, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता को भी बनाए रखे। हालांकि प्रतिक्रिया के जवाब में युद्ध भड़कने की पूरी आशंका है। अलबत्ता भारत के लोग यह चाहते हैं कि पाकिस्तान को कड़ी सजा दी जाए, भले ही इसके लिए युद्ध करना पड़ा।
कश्मीर में सामान्य स्थिति की धारणा पर आघात
पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर में अचानक से पर्यटकों का आगमन रुक गया है। जो पहले से थे, वे कश्मीर छोड़ चुके हैं। सरकार ने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में सामान्य स्थिति और पर्यटन में वृद्धि का दावा किया था। हालांकि, इस हमले ने उस धारणा को झटका दिया है । पर्यटन स्थलों को बंद करना पड़ा है, और स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है । प्रधानमंत्री के लिए यह चुनौती है कि वे कश्मीर में स्थिरता और विकास की प्रक्रिया को पुनः स्थापित करें।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक संतुलन
हालांकि भारत ने आतंकी हमले के तुरंत बाद विशव के सभी प्रमुख देशों को घटना के संबंध में अवगत करा दिया था और कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और ब्रिटेन, सउदी अरब, ईरान आदि ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की है । प्रधानमंत्री मोदी को आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह विश्वास दिलाना होगा कि भारत क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
आंतरिक राजनीतिक दबाव और विपक्ष की आलोचना
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से मोदी सरकार को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने एक विवादास्पद पोस्ट को हटाकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है । अब कांग्रेस संसद की संयुक्त बैठक बुलाने की मांग कर रही है ताकि पहलगाम घटना से उबरी स्थिति पर चर्चा की जा सके और सरकार विपक्ष को विश्वास में ले सके। ऐसे में प्रधानमंत्री पर यह दबाव है कि वह राजनीतिक एकता बनाए रखें और विपक्ष के साथ संवाद स्थापित करें ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक संयुक्त मोर्चा प्रस्तुत किया जा सके।
सामाजिक सौहार्द और सांप्रदायिक तनाव की रोकथाम
हमले में हिंदू पर्यटकों को लक्षित किया गया, जिससे सांप्रदायिक तनाव की आशंका बढ़ गई है। देश में ऐसे कुछ वाकये देखने को मिले जहां कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाया गया। तो कहीं पाकिस्तानी जिंदाबाद बोलने के आरोप में लिंचिंग की गई। कुछ संगठनों ने मुस्लिम समुदाय के प्रति कठोर बयान दिए हैं । प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह चुनौती है कि वे सामाजिक सौहार्द बनाए रखें और किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक विभाजन को रोकें।
मोदी के लिए गभीर परीक्षा की घड़ी
पहलगाम आतंकी हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के लिए एक गंभीर परीक्षा है। मोदी को राष्ट्रीय सुरक्षा, कश्मीर में स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, आंतरिक राजनीति और सामाजिक सौहार्द के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौतियों से सामना करना पड़ रहा है। वह पहले भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुके हैं, ऐसे में देशवासी यही चाहते हैं कि पीएम मोदी देश पर घिर आये संकट का मुकाबला दृढ़ता करें और देश को उबारें। यह कैसे और कितना होता है, समय ही बतायेगा।