एक समय था जब मुंबई के अंडरवर्ल्ड में खौफ का नाम था दया नायक। कथित तौर पर करीब 83 एनकाउंटर को अंजाम देने वाले मुंबई क्राइम ब्रांच के आला अफसर दया नायक को सैफ अली खान पर हुए हमले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। यह जिम्मा मिलने के बाद ही गुरुवार की सुबह उन्हें सैफ के फ्लैट में जांच टीम के साथ देखा गया।
पिछले दिनों सलमान खान के गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर गोलीबारी हुई थी। तब यह दया नायक ही थे जिन्होंने कुछ समय में ही गोलीबारी के अभियुक्त विक्की गुप्ता और सागर पाल को गिरफ्तार किया था।
दया के जीवन के आधार पर बनी 20 फिल्में
मुंबई पुलिस के लिए अंडरवर्ल्ड को खत्म करने में दया नायक की क्या अहमियत है और उन्होंने कैसे-कैसे एनकाउंटर किये हैं, उसकी मिसाल ही है कि अब तक उनके जीवन और कारनामे से प्रेरणा लेकर बॉलीवुड और दक्षिण में कम से कम 20 फिल्में बन चुकी हैं। इनमें नाना पाटेकर अभिनीत हिंदी फिल्म अब तक छप्पन काफी चर्चित रही है। उन्होंने 200 से अधिक शातिर अपराधियों की गिरफ्तारी में सीधी भूमिका निभाई है। बताया जाता है कि मुंबई में उन्होंने अपने गुप्तचरों की जाल बिछा रखा था जिससे मुंबई पुलिस को अंडरवर्ल्ड को खत्म करने में भारी सफलता मिली।
मुंबई अंडरवर्ल्ड में खौफ का नाम दया नायक
कर्नाटक में जन्मे दया नायक मुंबई आ गये थे और यहीं से अपनी पढ़ाई की। फिर उन्होंने पुलिस में भर्ती के लिए परीक्षा दी जिसके बाद उन्हें 1996 में पुलिस अकादमी से ग्रेजुएशन करने के बाद जुहू पुलिस स्टेशन में पोस्टिंग मिली। प्रथम पोस्टिंग सब इंस्पेक्टर की थी। इस साल उन्होंने पहली बार एनकाउंटर किया जिसके बाद उनका तबालला गैंगस्टरों के खिलाफ विशेष शाखा में कर दिया गया। उसके बाद तो इतिहास ही बन गया है। 80 और 90 के दशक में मुंबई पर डी कंपनी और छोटा राजन समेत कई गिरोहों का राज चलता था। वे आपस में उलझते रहते थे। आये दिन खून-खराबे से पुलिस और सरकार की किरकिरी हो रही थी, तब गैंगस्टरों के खिलाफ मुहिम छेड़ा गया जिसमें दया नायक एक हीरो बन कर उभरे। एक के बाद एक अपराधियों को उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर मार गिराया। इससे मुंबई के अंडरवर्ल्ड में उनके नाम की खौफ बन गई। लेकिन वह खुद 1997 में एक एनकाउंटर में गोलियों का शिकार हो गये थे। किसी तरह बच गये।
विवादों से नाता और गिरफ्तारी
दया नायक खुद को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहने से बचते हैं। दरअसल 2003 में पत्रकार केतन तिरोडकर ने उनपर मुंबई अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने का आरोप लगाया था। यह भी आरोप लगाया कि वह अवैध वसूली करते हैं। इसके बाद दया के खिलाफ दो-दो जांच कमेटी बैठी। लेकिन उनका दोष सिद्ध नहीं हुआ। लेकिन उन्हें तब स्पेशल फोर्स से अलग रखा गया। दया पर आय से अधिक संपत्ति रखने का केस भी चला। उनके खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया था। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने जांच के दौरान उनके घर पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार भी किया था। उन्हें 26 दिन जेल में रहना पड़ा था। इससे उनके माता-पिता को इतना सदमा लगा था कि उन दोनों की मौत हो गई।
निलंबन और फिर से पोस्टिंग
दया नायक को फिर से 16 जून 2012 में महाराष्ट्र पुलिस में नियुक्त किया गया। लेकिन इसके बाद भी उनका पुलिस महकमे में विवाद नहीं थमा। 2015 में उनका ट्रांसफर नागपुर किया गया लेकिन उन्होंने वहां ज्वाइन नहीं किया तो उनको निलंबित कर दिया गया। लेकिन उनकी काबिलियत और अनुभव को देखते हुए फिर से उन्हें मुंबई पुलिस में तैनात किया गया। पिछले साल के जनवरी में उनको प्रमोशन देकर मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक बनाया गया।
दया नायक की जिंदगी किसी फिल्म की कहानी की तरह है, उजाले और स्याह में डूबे अनगित किस्से। उनके हिस्से में जितनी प्रसिद्धि आयी, उतनी ही उनकी जिंदगी में बदनामी भी रही। ऐसा भी समय रहा जब उन्हें छह साल तक पुलिस की सर्विस से दूर रहना पड़ा।