Friday, June 13, 2025

गौतम गंभीरः बीजेपी की सिफारिश पर्ची से बना कोच जिसने भारतीय क्रिकेट को किया तबाह

जरा सोचिये अगर अगर किसी पीएचडी छात्र का मास्टर किसी ग्रेजुएट को बना दिया जाए, या फिर अपनी प्रतिभा और उच्च तकनीकी शिक्षा के बल पर बने एक अधिकारी का बॉस किसी ग्रेजुएट को बना दिया जाए तो उनपर क्या बीतेगी। पीएचडी छात्र या उस अधिकारी का मनोबल कितना गिरेगा और फिर वह किस हद तक डिप्रेशन का शिकार हो जाएगा। तब क्या वह पहले जैसे अपने काम पर ध्यान दे पायेगा। बिल्कुल भी नहीं। कुछ ऐसा ही हुआ है भारत के सबसे सफलतम कप्तानों में से एक रोहित शर्मा के साथ। बहुत हद तक महान सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे महान बल्लेबाज विराट कोहली के साथ। आज जब इनके रिटायरमेंट के बाद हर क्रिकेट जानकार और पूर्व क्रिकेटर बता रहे हैं कि ये दोनों कितने महान बल्लेबाज हैं तो यह समझा जा सकता है कि गौतम गंभीर जैसे एक औसत बल्लेबाज को ये किस हद तक बर्दाश्त कर पाते। हालांकि उन्होंने बीसीसीआई द्वारा कोच बनाये जाने के बाद गंभीर को स्वीकार कर लिया लेकिन यह मैदान में साफ दिखा कि गंभीर के साथ रोहित शर्मा और विराट कोहली सहज नहीं थे।

गौतम गंभीर श्रीलंका के साथ तीन एक दिवसीय मैचों की सीरीज के दौरान भारतीय टीम के साथ बतौर हेड कोच जुड़े थे। लेकिन यह पहली बार हुआ कि श्रीलंका में भारत तीनों मैचों में हार गया। कप्तान रोहित शर्मा के लिए यह एक बड़ा झटका था तो वहीं गंभीर के लिए भी एक मुश्किल परिस्थिति थी। इस सीरीज के पहले देखें तो भारत ने इंग्लैंड को घेरलू चार टेस्टों की सीरीज में 3-1 से शिकस्त दी थी। रोहित शर्मा ने इस सिरीज में दो शतक भी लगाये थे। लेकिन गौतम गंभीर के आने के साथ ही टीम के ड्रेसिंग रूम का माहौल बदल गया। राहुल द्रविड़ के कोच रहने के दौरान ड्रेसिंग रूम में जो सहजता थी, वह गायब हो गयी और उसकी जगह एक अदृश्य तनाव ने जगह बना ली। इसने रोहित शर्मा और कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों को असहज बना दिया।

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कोहली का पहले से ही गंभीर के साथ छत्तीस का आंकड़ा था। यह आईपीएल में एक नहीं कम से कम दो बार देखा जा चुका है। गौतम गंभीर के आक्रामक और गैर प्रोफेशनल रवैये ने कोहली के साथ उनके साथ दूरियां बढ़ाई थीं। यह सभी ने देखा है कि किस तरह से गंभीर और कोहली में तीखी बहस हुई थी। वहां तक तो जो हुआ सो हुआ, लेकिन गंभीर ने हेड कोच बनने के पहले ही यह बयान दिया था कि कुछ कड़े फैसले लेने पड़ेंगे। इसे इस रूप में लिया गया कि गंभीर रोहित और कोहली जैसे खिलाड़ियों को टीम में नहीं चाहते हैं। कोच बनने के पहले ही गंभीर ने जो संकेत दिया था, आज उसी का परिणाम है कि पहले आर अश्विन, उसके बाद रोहित शर्मा और अब विराट कोहली टेस्ट टीम से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं।

आज बड़े-बेड़ खेल समीक्षक और पूर्व क्रिकेटर जब रोहित और कोहली के रिटायरमेंट की बात कर रहे हैं तो वे उन दोनों महान बल्लेबाजों के पिछले सालों के फॉर्म पर चर्चा कर रहे हैं और उनके रिटायरमेंट की वजह यही बता रहे हैं। लेकिन असली वजह पर वे चर्चा करने से डर रहे हैं या फिर बच रहे हैं। दरअसल गंभीर का मकसद ही था सीनियर खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखाकर अपनी मुताबिक टीम का चयन करना और उस पर पूरा कमांड करना। रोहित शर्मा के कप्तान रहते यह संभव नहीं था क्योंकि रोहित निडर और दबाव में आने वाले खिलाड़ी नहीं थे। गंभीर के लिए रोहित और विराट कोहली बड़ी बाधा थे। इसलिए गंभीर ने सबसे पहले रोहित पर बीसीसीआई और सेलेक्टरों के जरिये रिटायरमेंट का दबाव बनाया और जब रोहित ने रिटायरमेंट ले लिया तो उसी रास्ते पर कोहली भी चल पड़े। चालाक दिमाग वाले गंभीर यह जानते थे कि ऐसा ही होने वाला है। बिना रोहित की टीम का हिस्सा बनने से कोहली ने इनकार कर दिया। अगर रोहित कप्तान रहते तो आज हमें कोहली के रिटायरमेंट की खबर नहीं देखनी पड़ती।

अब आइये हम इस विषय पर चर्चा करते हैं जो हमने ऊपर उल्लेख किया है। यह हम आंकड़ों में देखते हैं कि कैसे गौतम गंभीर महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे सबसे सफल भारतीय बल्लेबाज विराट कोहली और कप्तान रहे रोहित शर्मा से कितने कमतर हैं। आखिर आंकड़े क्या कहते हैं, यह हम टेस्ट, वनडे और टी20 में देखते हैं।

गौतम गंभीर ने कुल 58 टेस्ट खेले हैं जिनमें उन्होंने 41.95 के औसत से कुल 4154 रन बनाये हैं। उन्होंने इस दौरान नौ शतक और 22 अर्धशतक बनाये हैं। अब जरा विराट कोहली और रोहित के टेस्ट आंकड़े देखते हैंं। विराट ने 123 टेस्ट खेले हैं जिनमें उन्होंने 46.85 के औसत से कुल 9230 रन बनाये हैं। विराट ने कुल 30 शतक और 31 अर्धशतक बनाये हैं। अब आइये रोहित शर्मा का टेस्ट प्रदर्शन देखते हैं। रोहित ने 67 टेस्ट खेलकर कुल 4301 रन बनाये हैं जिनमें 12 शतक और 18 अर्धशतक शामिल हैं। उनका औसत 40.57 प्रतिशत का है। तो यह हम साफ देख रहे हैं कि गौतम गंभीर से कहीं अच्छा रिकॉर्ड विराट कोहली का है। हालांकि रोहित थोड़ा ही बेहतर हैं।

अब आइये एकदिवसीय आंकड़ों पर गौर करते हैं। गौतम गंभीर ने 147 वनडे मैच खेलकर कुल 5238 रन बनाये हैं और उनका औसत है 39.68 रनों का। उन्होंने मात्र 11 शतक बनाये हैं जबकि अर्धशतकों की संख्या 34 हैं। अब जरा कोहली के वनडे आंकड़ों पर गौर करते हैं। कोहली ने अब तक 302 वनडे मैच खेले हैं और कुल 14,181 रन बनाये हैं। उनका औसत काफी बेहतर 57.88 है और उन्होंने 51 शतक और 74 अर्धशतक बनाये हैंं। एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास में महान विविनय रिचर्डस के बाद कोहली को दूसरा सबसे महान बल्लेबाज माना जाता है। कोहली शतकों के मामले में सचिन तेंदुलकर (49) से भी आगे हैं। रोहित शर्मा ने भी एक दिवसीय क्रिकेट में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने 273 मैच खेलकर 48.76 के औसत से कुल 11,168 रन बनाये हैं। उनके नाम 32 शतक हैं, जबकि उनके अर्धशतकों की संख्या 58 है। रोहित के नाम तीन डबल सेंचुरी भी है जो और किसी बल्लेबाज के नाम नहीं है। विराट और रोहित दोनों एकदिवसीय फॉर्मेट के जबरदस्त खिलाड़ी हैं और उनकी जोड़ी ने भारत को कई मैच जिताये हैं।

टी20 में भी रोहित और विराट का गंभीर के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन रहा है। गंभीर ने मात्र 37 टी20 मैच खेले हैं और 27.41 औसत से 932 रन बनाये हैं जबकि विराट ने 125 मैच खेलकर 48.69 के औसत से 4188 रन बनाये हैं। विराट के नाम एक सेंचुरी भी है। वहीं रोहित ने 159 मैच खेलकर 32.05 औसत से कुल 4231 रन बनाये हैं। रोहित के नाम वनडे क्रिकेट में पांच सेंचुरी भी है।

तो इन आंकड़ों को देखकर आप समझ सकते हैं कि गंभीर से कहीं अधिक बड़े खिलाड़ी हैं विराट कोहली और रोहित शर्मा। तो फिर आखिर क्यों गंभीर को इनके रहते भारतीय क्रिकेट टीम का हेड कोच बनाया गया? इस सवाल के उत्तर में यह पहले ही कई लोग इशारों में या दबे स्वरों में कह चुके हैं कि बीजेपी से करीबी रिश्ता होने के कारण ही उन्हें हेड कोच का जिम्मा दिया गया है, जबकि वह बीसीसीआई के पहली पसंद नहीं थे। उनके पास कोचिंग का बहुत व्यापक अनुभव नहीं है और टीम इंडिया के हेड कोच बनने के लायक भी नहीं थे। हेड कोच बनने से पहले वह आईपीएल टीम केकेआर के कोच थे। लेकिन एक आईपीएल टीम और राष्ट्रीय टीम का कोच होने में भारी अंतर है। गंभीर कोहली और रोहित के साथ टीम इंडिया में भी खेल चुके हैं। ऐसे में उनके लिए गंभीर को अपने कोच के रूप में स्वीकार करना बेहद मुश्किल रहा होगा, हालांकि इन दोनों ने कभी इस पर किसी फोरम में आपत्ति दर्ज नहीं करायी है। अश्विन, विराट, रोहित और जडेजा जैसे सीनियर खिलाड़ियों को रहते हुए अलबत्ता होना तो यह चाहिए था कि गंभीर हेड कोच बनने के लिए आतुर नहीं होते। उनको इन खिलाड़ियों के रिटायरमेंट तक इंतजार करना चाहिए था। लेकिन गंभीर ने ऐसा नहीं किया, बल्कि वह अपने बीजेपी नेताओं के हाथ पकड़ कर भारत का हेड कोच बन गये और एक अच्छी लय में चल रही टीम को बर्बादकर दिया।

द्रविड़ के रहते रोहित शर्मा अच्छा फॉर्म में चल रहे थे। हां, कोहली बड़े रन नहीं कर पा रहे थे। लेकिन ये दोनों महान खिलाड़ी हैं, और खराब दौर से गुजर कर सुनहरा भविष्य लिख सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक शातिर दिमाग के सामने प्रतिभाशाली और क्रिकेट के प्रति जुनून रखने वाले दो महान खिलाड़ियों को असमय ही अपने टेस्ट करियर को समाप्त करना पड़ा। यह सिर्फ इन दोनों खिलाड़ियों के साथ बुरा नहीं हुआ बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए भी एक खराब दौर के रूप में याद किया जाएगा। साफ तौर पर अब भारतीय क्रिकेट पहले जैसा कतई नहीं रह जाएगा, खासकर टेस्ट में। कोहली और रोहित को देखने के लिए मैदानों में उमड़ने वाले दर्शक निश्चित रूप से अब उस तरफ रुख नहीं करेंगे। भारत और दुनिया भर के क्रिकेट स्टेडियम कोहली-कोहली और रोहित-रोहित के शोर से महरूम हो गये।

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