सब तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार। यह एक प्रसिद्ध कहावत है जो पश्चिम बंगाल में सागर दीप में लगने वाले मेले के बारे में कहा जाता है। सागर दीप के दक्षिण से लगने वाली बंगाल की खाड़ी में गंगा (हुगली ) नदी समाहित होती है। इस दक्षिणी छोर पर ही गंगासागर मेला लगता है। सागर दीप पर कपिल मुनी आश्रम है जो तीर्थ स्थल है। गंगासागर मेले का यह केंद्रीय आकर्षण है।
महाभारत में भी जिक्र है गंगासागर का
बंगाल में कुंभ मेले के बाद गंगासागर मेले का सबसे बड़ा महत्व है। गंगा सागर मेले का हिंदू धर्मांवलंबियों में काफी महत्व है। गंगासागर का पौराणिक महत्व भी है। माना जाता है कि महाभारत में जिस गंगासागर संगम का जिक्र है, वह यही गंगासागर है। पांडुवों ने गंगासागर का भ्रमण किया था। प्रचलित है कि जो कोई गंगासागर में मकरसंक्रांति के दौरान स्नान करता है, उसे 100 अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए देशभर से पुण्यार्थी गंगासागर डुबकी लगाने आते हैं।
ममता बनर्जी का प्रयास राष्ट्रीय मेला घोषित करने का
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गंगासागर मेले को कुंभ मेले की तरह ही राष्ट्रीय मेला घोषित करना चाहती हैं। जब से वह मुख्यमंत्री बनी हैं तब से वह इस मेले की तैयारियों की खुद जिम्मा संभालती हैं। वह स्वयं सागर दीप जाकर मेले की तैयारियों का जायजा लेती हैं। साथ ही वह मंत्रियों को टीम को वहां तैनात करती हैं जो सारी व्यवस्था को देखती है। 2023 के गंगासागर मेले में श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ पार कर गई थी। इस साल भी बंगाल सरकार को उम्मीद है कि उतनी संख्या ही होगी। लेकिन कुंभ मेले को लेकर लगता है कि इस बार श्रद्धालु गंगासागर में डुबकी लगाने कम आ सकते हैं।
गंगासागर में व्यापक तैयारियां
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर सरकार के कई विभाग गंगासागर मेले में सक्रिय हैं। इस बार सुरक्षा के व्यापक इंतजाम के तहत 13,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। पूरे मेला परिसर को सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। कोलकाता से सागर दीप श्रद्धालुओं को लेकर जाने के लिए 2,500 सरकारी और निजी बसें, 21 जेटी, नौ बजरे, 32 जहाज और 120 लांच लगाये गये हैं। मेले के लिए पांच अस्थायी अस्पताल बनाये गये हैं जबकि 100 एंबुलेंस तैनात किये गये हैं। लोगों को डूबने से बचाने के लिए एनडीआरएफ और सिविल डिवेंस को तैनात किया गया। मेले को आकर्षक बनाने के लिए तीन दिवसीय गंगा आरती भी 12 जनवरी से शुरू की गई है।