Monday, April 28, 2025

कुणाल कामराः अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी कहने और गाली देने की कितनी आजादी?

स्टैंड-अप कॉमेडिय कुणाल कामरा द्वारा अपने शो में महाराष्ट्र के उपमुख्य्मंत्री एकनाथ शिंदे पर की गयी टिप्पणी के बाद से राज्य की सियासत सरगर्म है, वहींं शिवसेना और कामरा अब आमने-सामने हैं। लेकिन जिस शो में कामरा ने शिंदे पर व्यंग्य वाण छोड़ा, उसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी, मुकेश अंबानी एवं अनंत अंबानी, सुधा मूर्ति व नारायण मूर्ति तथा  उद्योगपति आनंद महिंद्रा पर भी अपने अंदाज में कटाक्ष किया था। लेकिन व्यंग्य करने में कुणाल ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, कहीं-कहीं शुद्ध देसी गालियों का प्रयोग किया, उससे अभिव्यक्ति की आजादी नाम पर कुछ भी कहने पर सवाल उठना लाजिमी है।

अंबानी को कहा नीच और निर्लज

कुणाल कामरा अपने शो की शुरुआत में ही मुकेश अंबानी और अनंत अंबानी पर आ जाते हैं। वह मुकेश अंबानी को निर्लज और नीच तक कहते हैं। अनंत अंबानी की पत्नी राधिका के विषय में कहते हैं कि डेढ़ किलोमीटर दूर से उनकी हड्डियां गिनी जा सकती हैं जबकि अनंत की कोहनी तक नहीं दिखती है। अगर कभी उनका नस खोजना हो तो अंबानी ने अस्पताल बनाये है, उसके पूरे डॉक्टर भी अनंत का नस नहीं खोज पायेंगे। हालांकि कुणाल यह कहते हैं कि वह अनंत की शारीरिक बनावट का मजाक नहीं उड़ा रहे हैं, लेकिन उनकी शारीरिक बनावट को काफी हद तक भयानक बताते हैं।

सुधा मूर्ति पर भी निशाना

कुणाल की अगला शिकार होती हैं सुधा मूर्ति जो इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी हैं। कामरा कहते हैं कि जो अमीर लोग मध्यम वर्ग से होने का नाटक करते हैं, उनमें महान नाम सुधा मूर्ति का है। वह साधारण होने का दिखावा करती हैं और उन्होंने इस पर कई किताबें लिखी हैं। एक जगह कुणाल नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम की बात का जिक्र करते हैं तो उस समय उनका नाम लेते हुए गाली बकते हैं। कामरा कहते हैं कि सुधा मूर्ति पूरे दो साल इंग्लैंड की सास थीं तो फिर वह कैसे अपने को एक साधारण व्यक्ति बता सकती हैं। जबकि वह अब राज्यसभा भी जा रही हैं।

कोविड काल के बहाने पर मोदी पर हमला

कुणाल कामरा कोविड काल में पीएम मोदी द्वारा लगाये गये लॉकडाउन का उल्लेखकर मजाक उड़ाते हैं। डॉक्टरों और कोविड से लड़ने में लगे दूसरे लोगों  के कार्यों की प्रशंसा और आभार जताने के लिए पीएम मोदी द्वारा लोगों से एक दिन शाम पांच बजे थाली बजाने की अपील की गयी थी जिसकी कामरा मजाक उड़ाते हैं। वह मोदी का जिक्र विराट हिंदू मोदी जी, बेस्ट हिंदू मोदी जी और वन मैन हिंदू मोदी जी के रूप में करते हुए कहते हैं कि देश में उनसे बड़ा हिंदू कोई है नहीं। कामरा कहते हैं कि भारत में हिंदू के नाम पर कुछ भी बेच सकते हैं। इलेक्ट्रिक अगरबत्ती तक आ गयी है। हिंदू फोबिया है यहां पर। जबकि 80 फीसदी आबादी हिंदुओं की है, फिर भी हिंदू फोबिया है।

बूढ़ों के वोट का हक छीनने की वकालत

कुणाल कामरा अपने उसी शो में बुजर्गों का भी मजाक उड़ाते हुए कहते हैं कि 65 के बूढ़ों को रिटाय़र करो। उनसे वोट का अधिकार छीन लेना चाहिए। आखिर वे इस उम्र में किसका भविष्य ठीक करना चाहते हैं। हमारे टैक्स का बड़ा लोड बूढ़ों पर है। इस दौरान कुणाल उद्योगपति और महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महिंद्रा का भी उनके लगातार ट्वीट करने पर उपहास उड़ाते कहते हैं कि वह ठीक-ठाक बूढ़ा हैं। लेकिन यह कहते हुए कि महिंद्रा हर चीज पर ट्वीट करते हैं, गाली भी बकते हैं।

गीत के माध्यम से शिंदे पर निशाना

हैरत की बात है कि कुणाल कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री शिंदे का नाम नहीं लिया है, केवल इशारा कर उन पर एक गाना बनाया और उस गाने पर इतना बवाल हो गया है। क्या है, पूरा गाना, जरा देखियेः

थाने की रिक्शा/ चेहरे पर दाढ़ी/ आंखों में चश्मा, हाये/ एक झलक दिखालाये कभी/ गुवाहाटी में छुप जाए/ मेरी नजर से तुम देखो/ गद्दार नजर ओ आये,

थाने की रिक्शा/ चेहरे पर दाढ़ी/ आंखों में चश्मा, हाये

मंत्री नहीं ओ दलबदलू है/ और कहां जाए/ जिस थाली में खाये/ उसमें ही ओ छेद कर जाए/ मंत्रालय से ज्यादा, फड़नवीस की गोदी में मिल जाए/ तीर कमान मिला है इसको/ बाप मेरा ये चाहे,

थाने की रिक्शा/ चेहरे पर दाढ़ी/ आंखों पर चश्मा, हाये।

राहुल की स्टाइल और तानाशाह का जिक्र

कुणाल कामरा ने इसी तरह से ईडी और सीबीआई की स्वाधीनता को लेकर गीत गाया और मोदी सरकार पर निशाना साधा है। वहीं उन्होंने पीएम मोदी के लिए भी एक गाना बनाया है जिसकी चर्चा नहीं हो रही है जबकि उन्होंने मोदी को तानाशाह कहा और साथ ही गुजरात दंगे का जिक्र कर उन्हें खून-खराबे के लिए जिम्मेवार बताया है। कुणाल अंत में ठीक कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरह संविधान की प्रति दिखाते हैं और कहते हैं कि यह संविधान उन्हें बोलने की आजादी देता है। लेकिन इस आजादी का इस्तेमाल कामरा ने केवल बीजेपी, पीएम मोदी और उनके समर्थकों के खिलाफ ही किया है। क्या देश में गैर बीजेपी नेताओं, मुख्यमंत्रियों और उनके राज्यों में ऐसा कुछ नहीं है जिससे कि उनके बारे में बोला जाए। कामरा ऐसा कुछ नहीं बोलते हैं। कामरा साफ तौर से मोदी सरकार और बीजेपी के खिलाफ दिखाई देते हैं और कॉमेडियन के नाम पर उन पर ही हमले करते हैं, उपहास उड़ाते हैं। इससे उनके इरादे पर सवाल उठना लाजिमी है। एक तरह से उनका व्यवहार किसी कॉमेडियन का न होकर किसी विपक्ष नेता की तरह दिखता है।

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