कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में निचली अदालत ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। लेकिन कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा दिये जाने से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाखुश हैं। उन्होंने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में अपील करने की बात कही है।
मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि कोर्ट ने कैसे रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर नहीं माना इसे हम समझ नहीं पा रहे हैं। जबकि यह मामला (आरजी कर रेप-हत्या) ऐसा ही मामला है। अभियुक्त को निश्चित रूप से फांसी की सजा होनी चाहिए। इसलिए हमारी सरकार हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी और अभियुक्त को फांसी की सजा देने की मांग करेगी।
इससे पहले सोमवार को जब आरजी कर रेप-हत्या मामले में सजा के लिए सुनवाई चल रही थी तो उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता एयरपोर्ट से उत्तर बंगाल के सफर पर रवाना हो रही थीं। उस समय उन्होंने आशा जतायी थी कि अधिकतम सजा यानी फांसी की सजा सुनायी जाएगी। लेकिन पौने तीन बजे न्यायाधीश ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मानने से इनकार करते हुए अभियुक्त को आजीवन कारावस की सजा सुनाई। साथ में उसे पचास हजार रुपये का जुर्माना भरना होगा। उत्तर बंगाल में एक सभा स्थर पर मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि हम प्रथम दिन से ही अभियुक्त को फांसी की सजा देने की मांग करे थे। आज भी हम फांसी की सजा ही चाहते हैं। हमने ऐसे तीन मामलों में 54 से 60 दिनों के अंदर फांसी की सजा कोर्ट से ऑर्डर करा लिया था। अगर हम इस मामले की जांच करते तो अभियुक्त को फांसी की सजा दिलाते।
ममता ने कहा कि इस मामले में उच्चतम सजा होनी चाहिए थी लेकिन पता नहीं कोर्ट ने यह सजा क्यों दी। कोर्ट की राय पर मैं कुछ नहीं कहूंगी। लेकिन सीबीआई जानती है कि उसने कैसी जांच की और क्या रिपोर्ट सौंपी कि कोर्ट ने फांसी की सजा नहीं दी। अगर हम जांच करते तो निश्चित रूप से फांसी की सजा दिलाते। लेकिन हमसे जांच का जिम्मा लेकर सीबीआई को सौंप दिया गया था। जब एक रिपोर्टर ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि क्या आपको लगता है कि सीबीआई ने जांच ठीक से नहीं की तो इस पर ममता बनर्जी ने कहा कि यह फिलहाल हम नहीं कह सकते। लेकिन अगर फांसी की सजा होती हम संतुष्ट होते।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में जब ट्रेनी डॉक्टर की रेप कर हत्या कर दी गई थी तो न सिर्फ डॉक्टरों ने बल्कि कोलकाता और बंगाल के अन्य हिस्सों में समाज के हर तबके ने सड़क पर उतरकर न्याय के लिए आंदोलन किया था। उस समय कोलकाता पुलिस ही जांच कर रही थी लेकिन पुलिस पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगा था। हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस की भर्त्सना करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के कार्यों पर सवाल उठाया था और मामले की जांच का जिम्मा पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था। आंदोलन करने वाले डॉक्टरों का कहना था कि रेप-हत्या मामले में एक से अधिक लोग शामिल हैं। पहले पुलिस ने कहा था कि सिर्फ संजय राय ने घटना को अंजाम दिया है, लेकिन जब सीबीआई ने भी सिर्फ संजय राय को ही एकमात्र अभियुक्त बताया तो पीड़िता के परिवार और डॉक्टर इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गये और न्याय की मांग की। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अब भी विचाराधीन है।