पुरी का नाम सुनते ही मनोरम समुद्री बीच और हवाओं के साथ लहराती-दौड़ती-भागती समुद्री लहरें याद आती हैं। पुरी का नाम सुनते ही ऐतिहासिक, भव्य और विशाल जगन्नाथ मंदिर आंखों में तैर जाता है। प्रभु जगन्नाथ, उनके भ्राता बालभद्र और बहन सुभद्रा की रथयात्रा और उसमें आगाध श्रद्धा के साथ उमड़े लाखों भावातुर श्रद्धालुओं की गरिमामय उपस्थिति पुरी को विश्व प्रसिद्ध बनाती है। पुरी भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा का ही नहीं, आज भारत के पर्यटन मानचित्र पर सबसे आगे है।
एक आंकड़े के मुताबिक साल 2024 में देशभर से एक करोड़ नौ लाख पर्यटकों ने पुरी, कोणार्क और चिल्का झील का भ्रमण किया था। करीब 53 हजार विदेशी पर्यटक ओडिशा आये थे। 2023 में प्रदेश, देश और विदेशों के कुल दो करोड़ छह लाख पर्यटकों ने पुरी की यात्रा की थी। 2022 में यह संख्या करीब डेढ़ करोड़ थी। दरअसल पुरी अब धार्मिक पर्यटन के मामले में भारत के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र वाराणसी और हरिद्वार के साथ कदमताल मिला रहा है। यह सर्वविदित है कि पुरी चार धामों से एक है। पुरी के अलावा और तीन धाम द्वारिका, बद्रीनाथ और रामेश्वरम् हैं। ये चार धाम हिंदू धर्म में विशिष्ट स्थान रखने वाले के महान योगी, दार्शनिक और धर्म प्रवर्तक आदि शंकराचार्य ने स्थापित किये थे। इस लिए हिंदुओं में इन चारों धामों के दर्शन का बड़ा महत्व है।
हिंदू मान्यताओं में उत्तर भारत में केदारनाथ धाम और काशी विश्वनाथ मंदिर, पश्चिम में सोमनाथ मंदिर, दक्षिण में तिरुपति बालाजी मंदिर और रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का जो स्थान है, तो वही स्थान भारत के पूर्व में ओडिशा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ धाम का है। बारहवीं सदी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने कराया था। ओडिया लोगों के लिए श्री जगन्नाथ धाम आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है। श्री जगन्नाथ मंदिर को श्री मंदिर और श्री जगन्नाथ धाम भी कहा जाता है। हाल ही में ओडिशा सरकार ने मंदिर के नाम का पेटेंट कराने का फैसला किया है। दरअसल पिछले दिनों बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दीघा में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया है। बंगाल सरकार द्वारा उसका नामकरण श्री जगन्नाथ धाम किया गया तो ओडिशा सरकार ने इसका विरोध किया और बंगाल सरकार से दीघा के जगन्नाथ मंदिर का नाम श्री जगन्नाथ धाम नहीं रखने का अनुरोध किया। ओडिशा सरकार ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर के प्रचलन में सभी नामों श्री जगन्नाथ धाम, श्रीमंदिर, निलाचल और बडा ढंडा को पेटेंट कराने का फैसला किया है।
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के प्रयासों से अब जगन्नाथ मंदिर परिसर विस्तारित रूप में भव्य हो गया है। उनकी सरकार ने 800 करोड़ रुपये खर्च कर श्री जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर को विकसित किया जिससे अब मंदिर में आने-जाने का रास्ता चौड़ा हो गया है। मंदिर के आसपास के कई ढांचों को हटा दिया गया। इसके साथ ही मंदिर के आने वाले मार्ग को और चौड़ा किया गया है। मार्ग के अगल-बगल वाले भवनों को गेरुआ रंग में रंगा गया है या फिर उनका बोर्ड उस रंग में रंग दिया गया है जिससे मंदिर के आस-पास का पूरा परिदृश्य मनोहारी हो गया है।
श्री जगन्नाथ मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है। हर दिन छह सौ रसोइये प्रसाद बनाते हैं जिसे मंदिर आने वाले हजारों तीर्थयात्री ग्रहण करते हैं। पुरी को निलाचल भी कहा जाता है। और मंदिर के मुख्य मार्ग को बडा ढंडा कहा जाता है।
पुरी की रथ यात्रा विश्व विख्यात है। हर साल इस अवसर पर पुरी में दसियों लाख लोगों की भीड़ उमड़ती है। ऐसा ही भव्य नजारा आज 27 जून 2025 को भी देखने को मिला। रथ यात्रा को लेकर खास कर ओडिशा के लोगों में अपार श्रद्धा और भक्ति का भाव दिखता है। हालांकि आज इस्कॉन की वजह से रथ यात्रा का स्वरूप विश्वव्यापी हो गया है, लेकिन पुरी की रथ यात्रा की दुनिया में कोई सानी नहीं है।
रथ यात्रा के साथ ही जगन्नाथ मंदिर 24 वार्षिक उत्सवों को मनाने के लिए जाना जाता है। हालांकि 13 उत्सव ही प्रमुखता से मनाये जाते हैं। पुरी एक प्राचीन नगरी है जहां हिंदू मान्यताओं और संतों से जुड़े कई मठ भी हैं। सिखों का भी यह तीर्थ है क्योंकि गुरुनानक जी ने यहां की यात्रा कर यहां ठहराव किया था। वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु के अनुयायियों के लिए पुरी एक बड़ा तीर्थ है क्योंकि चैतन्य महाप्रभु ने पुरी में 20 से अधिक साल गुजारे थे।
हिंदू मान्यताओं वाले धार्मिक और आध्यात्मिक लोगों के लिए मुख्य आकर्षण निश्चित रूप से पुरी का जगन्नाथ मंदिर है लेकिन अगर बात करें पर्यटन आकर्षण की तो पुरी का समुद्री प्राकृतिक बीच न सिर्फ भारत बल्कि विश्व में अपना विशेष स्थान रखता है। करीब आठ किलोमीटर तक फैले पुरी बीच का नजारा सुबह और शाम का अनूठा होता है। यहां खासकर मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी के बीच पर्यटकों का तांता लगा रहता है। देश-विदेश से पर्यटक पुरी बीच पर अठखेलियां खेलतीं समुद्री लहरों का लुफ्त उठाने, उसमें उतर कर आनंद लेने के लिए खींचे चले आते हैं। स्थिति यह होती है कि यहां होटल में कमरे तक नहीं मिलते हैं। उस दौरान होटल के कमरों का किराया आसमान छूता है। सामान्य सात-आठ सौ रुपये वाले कमरों का किराया भी दो हजार रुपये तक चला जाता हैं। वहीं मध्यम दर्जे से लेकर फाइव स्टार होटलों के कमरे का किराया चार हजार रुपये से लेकर 14-15 हजार रुपये तक एक रात का हो जाता है। यही वजह है कि आज पुरी में बेइंतहा होटल व्यवसाय बढ़ रहा है। पुरी के समुद्री तट के किनारे-किनारे होटल, गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट बन चुके हैं। शहर के अन्य हिस्सों में भी नये-नये होटल बन रहे हैं। दिन दुनी, रात चौगनी तरक्की करता पुरी का होटल व्यवसाय पूरे देश को आकर्षित कर रहा है, और यहां आकर लोग निवेश कर रहे हैं। थ्री स्टार से लेकर फाइव स्टार श्रेणी के कई होटल यहां निर्माणाधीन हैं।
बंगाल की खाड़ी से लगता पुरी तट का बीच करीब आठ किलोमीटर लंबा है जिसे गोल्डन बीच भी कहा जाता है। इस गोल्डन बीच को ब्लू फ्लैग का सर्टिफिकेट भी मिला है जो पर्यावरण और स्वच्छता में गुणवत्ता की गारंटी है। इस बीच पर विश्व विख्यात सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक अपनी बालू की कृतियां बनाते हैं जो मीडिया में छायी रहती है।
पुरी बीच को भारत में सबसे सुरक्षित बीचों में से एक माना जाता है। ओडिशा पुलिस के बॉडीगार्ड पूरी बीच पर तैनात रहते हैं और अगर कोई समुद्र की लहरों में फंस जाए तो वे उसे बचाने के लिए समुद्र में कूद पड़ते हैं। अभी पिछले दिनों भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली का परिवार पुरी में छुट्टियां बिताने गया था। उनकी बोट विशाल समुद्री लहरों की चपेट में आकर पलट गयी थी। तब पुलिस के बॉडीगार्ड ने उनका जीवन बचाया था।
पिछले साल चार दिसंबर को इंडियन नेवी ने यहां इंडियन नेवी डे मनाया था जिसके तहत यहां भारतीय नौसेना बेड़े के जहाजों ने नेवल परेड निकाली थी। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट अभियान चलाकर कराची पोर्ट को ध्वस्त कर दिया था। तब से हर साल चार दिसंबर को इंडियन नेवी डे मनाया जाता है। इस दौरान देश के किसी समुद्री तट पर नेवल परेड निकाली जाती है। 2024 के चार दिसंबर को भारतीय नौ सेना ने पुरी तट पर अपने शौर्य का प्रदर्शन किया था। इसे देखने के लिए हजारों लोग जुटे थे।
देश भर से पुरी घूमने आये पर्यटकों के लिए नौसेना की परेड एक यादगार पल बन गयी। क्योंकि लोगों ने एक साथ नौसेना के इतने लड़ाकू जहाजों को नहीं देखा था। न सिर्फ विमानवाहक पोत थे, बल्कि कई विध्वंस और पंडुब्बियां भी थीं जिन्हें पुरी बीच के करीब देखा गया। और नौसेना के हेलिकॉफ्टरों तथा फाइटर जेट ने भी पुरी बीच के आसमान पर अपने हैरतअंगेज करतब से आगत पर्यटकों और स्थानीय पुरीवासी को अचंभित कर दिया था।
पुरी बीच केवल मौज-मस्ती के लिए ही नहीं है। यहां के तट पर लोग पितृ दान भी करते हैं। शाम को कोई ना कोई मठ या धार्मिक समूह बीच पर हवन-पूजन करता हुआ भी मिल जाएगा जिसमें वहां घूम रहे पर्यटक भी शामिल होते देखे जा सकते हैं।
पुरी, प्राचीनता से आधुनिकता के सफर में आज भारतवासियों के लिए और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है जहां आज की भागदौड़ भरी जिंदगी से थके हारे लोग श्री जगन्नाथ मंदिर का दर्शन कर आध्यत्मिक शांति पाते हैं तो पुरी बीच पर बंगाल की खाड़ी से लहराकर आती समुद्री लहरें के आगोश में स्वयं को समर्पित कर आनंद और उल्लास का भाव अपने मन में भर कर तरोताजा हो जाते हैं।