रविवार को कोई काम करना नहीं चाहता है लेकिन अगर भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी एलएंडटी के बॉस की चली तो वे रविवार को भी अपने कर्मचारियों से काम कराने लगेंगे। उनका कहना है कि घर में पत्नी को घूरने से बेहतर है कि आप रविवार को ऑफिस आयें और काम करें।
एलएंडटी बॉस की चली तो रविवार को भी करायेंगे काम
पिछले साल उस समय काफी हो-हल्ला मचा था जब प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायण मूर्ति ने जोर देकर कहा था कि सप्तान में 70 घंटे का काम होनो चाहिए। यानी आईटी समेत कई सेक्टरों में रविवार के साथ ही शनिवार को छुट्टी रहती है, लेकिन मूर्ति चाहते थे कि शनिवार को भी कर्मचारी ऑफिस आयें और काम करें। लेकिन मूर्ति से एक कदम आगे बढ़ते हुए एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यम ने कहा कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे तक काम करना चाहिए। वे घर में कम समय बिताये और रविवार को भी ऑफिस आकर काम करें। अगर वे ऐसा करते हैं तो मुझे खुशी होगी।
मैं करता हूं रविवार को भी काम तो कर्मचारियों क्यों नहीं
सुब्रमण्यम ने कर्मचारियों से ऑनलाइन बात करते हुए कहा कि अगर उनकी चली तो वह रविवार को ऑफिस खुला रहेंगे और कर्मचारियों को बुलाएंगे। घर में अपनी पत्नी को देखते रहने से अच्छा है कि कर्मचारी ऑफिस में आकर काम करें। वे घर में कम समय बिताये और ऑफिस में ज्यादा। वह स्पष्ट कहते हैं कि जब मैं रविवार को काम कर सकता हूं तो तो दूसरे कर्मचारी क्यों नहीं। सुब्रमण्यम का यह वायरल वीडियो कब का है, यह फिलहाल पता नहीं चला है। लेकिन इतना जरूर है कि नारायण मूर्ति द्वारा कर्मचारियों से 70 घंटे कराने संबंधी दिये बयान के बाद उठे तूफान में सुब्रमण्यम का 90 घंटे के काम की उक्ति ने आग में घी का काम किया है। गौरतलब है कि 70 घंटे काम वाले बयान का कई मोर्चे पर विरोध किया गया था। कई कर्मचारी ने मूर्ति की इस धारणा की आलोचना की थी। हालांकि मूर्ति ने कहा था कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए छुट्टी एक तरह का अभिशाप है।
चीन की तरक्की का दिया उदाहरण
एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यम काम के 90 घंटे करने के पीछे यह तर्क किया है कि अगर भारत को भी चीन तरह तरक्की करनी है तो शनिवार-रविवार को भी काम करना होगा। उन्होंने चीन के एक व्यक्ति की टिप्पणी उदृत करते हुए कहा कि आर्थिक क्षेत्र में चीन अमेरिका को आगे निकल जाएगा क्योंकि चीन के कर्मचारी 90 घंटे तक काम करते है, जबकि अमेरिकी सप्ताह में मात्र 50 घंटे काम करते हैं। बहरहाल मूर्ति की तरह की सुब्रमण्यम के बयान की आलोचना शुरू हो गई। खासकर सोशल मीडिया पर इस पर तीखी आलोचना देखी जा रही है। कई लोगों को लगता है कि सुब्रमण्यम ने कर्मचारियों के निजी जीवन में दखल देने का काम किया। इसलिए वे उनके बयान की भर्त्सना कर रहे हैं।